साल 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में चार साल से अधिक समय के
बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) एक महीने के अंदर चार्जशीट दाखिल करेगी। एजेंसी
अभी इस मामले के मुख्य अभियुक्त लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोर्ट
ऑफ इन्क्वरी का हिस्सा रहे सेना के अधिकारियों का बयान ले रही है।
बताया जा रहा है कि चार्जशीट की तैयारी अंतिम दौर में है और एनआईए इस
चार्जशीट से कुछ आरोपियों के नाम हटा सकती है। महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 14 लोगों
के खिलाफ दायर अपनी चार्जशीट में शामिल किया था। एनआईए ने इस केस को साल 2011
में अपने हाथ में लिया है।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार, एजेंसी सूत्रों ने बताया
कि एटीएस पर झूठा आरोप मढ़ने का आरोप लगाने वाले मामले के मुख्य अभियुक्तों
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ सबूतों की
सावाधानी से दोबारा जांच की जा रही है।
इसके अलावा एनआईए ने उन सैन्य अधिकारियों के बयान लेने का फैसला किया है, जिन्होंने
कोर्ट ऑफ इन्क्वरी के दौरान पुरोहित से पूछताछ की थी। कोर्ट ऑफ इन्क्वरी में
पुरोहित का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं पाया गया। माना जा रहा है कि एनआईए साध्वी
प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित के नाम चार्जशीट से हटा सकती है।
बताया जा रहा है कि इस बात की भी दोबार जांच की जा रही है कि क्या प्रज्ञा
के खिलाफ भी सिर्फ इसलिए चार्जशीट दायर की जा सकती है क्योंकि ब्लास्ट में इस्तेमाल
की गई बाइक उसके नाम पर रजिस्टर्ड थी।
एक सूत्र ने बताया कि साध्वी प्रज्ञा, धमाकों के दो साल पहले
से घटना में प्रयोग हुई बाइक का इस्तेमाल नहीं कर रही थीं। उन्होंने इसे सुनील
जोशी को बेच दिया था और उसने ही दो सालों के दौरान बाइक की सर्विसिंग के बिल भरे
थे। बाइक में बम रखने वाला रामजी कलसांगरे अभी फरार है।
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