किसी नामी गिरामी क्रिकेटर या मशहूर अभिनेता के बजाय शहर में कचरा
बीननेवालों एवं भिखारियों को स्वच्छ भारत अभियान का दूत नामांकित कर प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के इस मिशन को ज्यादा सफल बनाया जा सकता है। रागिनी जैन का यह ट्राइड
एंड टेस्टेड मॉडल मुंबई के जुहू क्षेत्र में पिछले 13 वर्षों से काम कर रहा
है।
बिग बी के बंगले के बगल का मामला
जुहू स्थित जेवीपीडी स्कीम में अभिनेता जीतेंद्र के बंगले के ठीक पीछे और
अमिताभ बच्चन के बंगले से चंद कदमों की दूरी पर करीब आधा एकड़ परिसर में कहीं
प्लास्टिक बोतलों, कहीं थर्मोकोल तो कहीं घरेलू कचरे में से कुछ छांटते-बीनते
करीब दो दर्जन लोग नजर आते हैं। लेकिन आसपास फैले कचरे के बावजूद मक्खी-मच्छर या
बदबू का नामोनिशान नहीं है।
इस अतिविशिष्ट क्षेत्र की करीब 50 वर्ग किलोमीटर में फैली
आवासीय कॉलोनी के घरों, दुकानों या नालों से उठाकर लाए गए
सूखे-गीले कचरे को इस प्रकार छांटा जाता है कि उन्हें पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) के
लिए 12 से 15 हिस्सों में बांटा जा
सके। इन छंटे हुए पदार्थों को पुनर्चक्रण करनेवाली कंपनियां स्वयं आकर यहां से ले
जाती हैं और नकद दाम दे जाती हैं। यह नकद राशि यहां काम करनेवालों में उनके द्वारा
लाए या छांटे गए कचरे के हिसाब से उनमें बांट दी जाती है।
अब जुड़े डेढ़ सौ परिवार
इस परिसर को जेवीपीडी स्कीम में गीतांजलि एनजीओ सेंटर के नाम से जाना जाता
है। इसकी शुरुआत करीब 13 साल पहले रागिनी जैन ने मुंबई की सड़कों पर कचरा बीननेवाली
महिलाओं और भिखारियों से की थी। मुंबई महानगरपालिका ने उन्हें यह भूखंड पीपीपी
मॉडल पर यह केंद्र चलाने के लिए दी थी। 10-15 लोगों से शुरू
हुई इस मुहिम में अब करीब 150 परिवार जुड़ चुके हैं।
पार्वती ने तो बना ली दोमंजिली चाल
शुरुआत से ही इस सेंटर से जुड़ी करीब 50 वर्षीय पार्वती और उसका
पति यहां से प्रतिमाह करीब 30 हजार रुपए कमा लेते हैं। पड़ोस
की नेहरूनगर झोपड़पट्टी में अपनी दोमंजिली चाल बना ली है। फर्श सफेद संगमरमर की
बनवाई है। नीचे पार्वती का परिवार रहता है, ऊपर की मंजिल
किराए पर दे रखी है। रागिनी बताती हैं कि यहां काम कर रहे लोगों में कुछ महिलाएं
तो देहव्यापार छोड़कर अब इज्जत की जिंदगी गुजार रही हैं।
दोहरे फायदे वाला मॉडल
स्वच्छता अभियान के इस मॉडल का फायदा दोहरा है। क्षेत्र का कचरा तो दूर हो
ही रहा है, करीब 150 ऐसे परिवारों को सम्मानजनक
आमदनी भी हो रही है, जिन्हें खुद कभी समाज का कचरा समझा जाता
था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान के करीब 12
वर्ष पहले से यह केंद्र चलाती आ रही रागिनी जैन यह मॉडल लेकर कई नगर
निगमों के अधिकारियों व नेताओं से मिल चुकी हैं। लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी।
क्योंकि हर जगह पूछा जाता है कि मेरा कमीशन कितना होगा ?
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