Wednesday, March 5, 2014

आरक्षित टिकट पर कोई और नाम और गाड़ी पर कुछ और नाम

स्टेशन पर पहुंचने के बाद यात्री सबसे पहले प्लैटफॉर्म पर लगी गाड़ी को उसके नाम से पहचानता है, लेकिन आरक्षित टिकट पर कोई और नाम और गाड़ी पर कुछ और नाम लिखा हों, तो सोचिए कितनी कन्फ्यूजन होगी। सेंट्रल रेलवे पर हजारों यात्रियों को रोजाना इस 'कन्फ्यूजन' से रूबरू होना पड़ता है। 
दरअसल मुंबई से हावड़ा के लिए रोजाना शाम के वक्त एक घंटे के अंतराल में दो ट्रेनें निकलती हैं। ट्रेन क्रमांक 12809 (वाया-नागपुर) शाम 9:25 बजे और ट्रेन क्रमांक 12322 (वाया-इलाहाबाद) रात 9:25 बजे सीएसटी से निकलती है। इन दोनों ट्रेन से जाने वाले यात्रियों के आरक्षित टिकट पर ट्रेन का नाम 'हावड़ा मेल' प्रिंट किया रहता है, जबकि ट्रेन क्रमांक 12809 के सभी कोच पर 'मुंबई मेल' लिखा रहता है।
 
सिर्फ नाम की 'हावड़ा मेल'
 
जिस ट्रेन के नाम को लेकर इतनी कन्फ्यूजन हो रही है, उस ट्रेन क्रमांक 12322 में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स की कन्फ्यूजन वेबसाइट पर नाम ढूंढने के साथ ही शुरू हो जाती है। रेलवे की ऑफिशल वेबसाइट पर इस ट्रेन का नाम 'कोलकाता मेल' है, जबकि टिकट पर 'हावड़ा मेल' प्रिंट किया जाता है।
 रेलवे की लापरवाही के शिकार प्रकाश कोठारी को 11 मई, 2013 को उनके आरक्षित टिकट पर ट्रेन के प्रकाशित नाम (हावड़ा मेल) के अनुसार यात्रा करनी थी। प्रकाश निर्धारित समय (8:35) से थोड़ा सा पहले प्लैटफॉर्म पर आ गए थे, लेकिन जिस ट्रेन में उन्हें जाना था उस पर 'मुंबई मेल' नाम देखकर वे ट्रेन में नहीं चढ़े। एक घंटे बाद जिस ट्रेन पर 'हावड़ा मेल' लिखा था उसमें प्रकाश सवार हुए, लेकिन अपनी आरक्षित सीट पर किसी अन्य यात्री से हुई बहस के बाद उन्हें सारा माजरा समझ में आया। किसी अन्य की नजर में प्रकाश बेवकूफ हो सकते हैं, लेकिन इसका मूल कारण रेलवे की लापरवाही ही है। 

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