इन दिनों बहुचर्चित शीना बोरा हत्याकांड की मुख्य अभियुक्त इंद्राणी
मुखर्जी ने अपनी बेटी शीना बोरा को मारने के बाद उसका शव रायगढ़ के जिस गांव के
बाहर जलाया, वह गांव अहिंसा के पुजारी आचार्य विनोबा भावे का था।
महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माने जानेवाले आचार्य विनोबा
भावे का जन्म रायगढ़ जिले की तत्कालीन कोलाबा तहसील के गागोडे गांव में हुआ था।
कोलाबा अब पेण तहसील के नाम से जाना जाता है एवं आचार्य का गांव अब गागोडे बुदरुक
के नाम से जाना जाता है।
इसी गांव की सीमा से सटे पहाड़ी जंगल में 25 अप्रैल, 2012 की रात इंद्राणी मुखर्जी ने अपने दूसरे पति संजीव खन्ना एवं ड्राइवर श्याम
राय की मदद से अपनी ही बेटी शीना बोरा को पेट्रोल डालकर जला दिया था। इसी स्थान पर
पड़ोस के हेतेवने गांव के निवासी गणेश धेने को शीना का कंकाल पहली बार दिखाई दिया
था।
जिसके आसपास की वनस्पतियां जली हुई थीं। धेने ने इस बात की जानकारी 23 मई,
2012 स्थानीय पुलिस थाने को दी थी। स्थानीय पुलिस ने नरकंकाल का
पोस्टमार्टम करके उसे दफना दिया था।
दूसरी ओर स्थानीय पेण थाने की पुलिस के वर्ष 2012 पाए
गए नरकंकाल को जल्दबाजी में ठिकाने लगा दिए जाने को लेकर जांच भी शुरू हो गई है।
रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद सुवेज हक के अनुसार महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक
इस जांच के आदेश दिए हैं। जांच में मई 2012 में पेण पुलिस
थाने में उस समय तैनात पुलिस अधिकारियों की पूरी जांच की जाएगी।
चूंकि उस समय पुलिस ने जले हुए शव का नरकंकाल पाए जाने पर भी इस मामले की
जांच गंभीरता से करने के बजाय सिर्फ एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट दर्ज (एडीआर) दर्ज की
थी। घटनास्थल पर तीन कांस्टेबल गए थे। वहीं पर डॉक्टर को बुलाकर पोस्टमॉर्टम कराया
था। फिर नरकंकाल का पंचनामा करा कर उसके कुछ अवशेष मुंबई के जे.जे.अस्पताल में
भिजवाए थे।
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