नौ साल से कोमा में पड़े पराग सावंत ने बीती 7 जुलाई
को हिंदुजा अस्पताल में आखिरी सांस ली थी। पराग 11 जुलाई,
2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में
घायल हुआ था।
हिंदुजा अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. बीके मिश्रा के
अनुसार धमाके में घायल होने के बाद पराग दो वर्ष तक गहरे कोमा की अवस्था में था।
फिर उसकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ और वह सामान्य निर्देशों का पालन करने लगा।
7 जुलाई मंगलवार सुबह 5.30 बजे नर्स ने
उसे सामान्य अवस्था में देखा था। लेकिन छह बजे उसका ऑक्सीजन स्तर गिरने लगा।
डॉक्टरों ने उसे ऑक्सीजन देने की कोशिश की, लेकिन उसे बचाया
नहीं जा सका। पराग ठाणे के उपनगर भायंदर का निवासी था।
वह अपने पीछे माता-पिता, पत्नी
और एक बेटी छोड़ गया है। पराग की बेटी का जन्म उसके घायल होने के बाद हुआ था। इसलिए
वह कभी भी उसे देख नहीं पाया। पराग एक निजी कंपनी में काम करता था। सरकार द्वारा
घोषित योजनाओं के तहत उसकी पत्नी प्रीति को रेलवे में नौकरी मिल गई थी।
11 जुलाई, 2006 को मुंबई के चर्चगेट
स्टेशन से विरार की ओर जा रही लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के
अंदर अलग-अलग सात धमाके हुए थे। शाम को हुए इन धमाकों में 209 लोग मारे गए थे और करीब सात सौ लोग घायल हुए थे। ऐसी ही एक लोकल ट्रेन में
पराग सावंत सवार था।
धमाके में बुरी तरह घायल होने के बाद उसे पहले भक्ति
वेदांत अस्पताल में लाया गया था। बाद में उसे हिंदुजा अस्पताल लाया गया, जहां
कोमा से निकालने के लिए कई बार उसका ऑपरेशन करना पड़ा था। बता दें कि नौ साल बाद भी
ट्रेन विस्फोट कांड का मुकदमा ज्यों-का-त्यों पड़ा है।
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