चिक्की घोटाले में फंसी राज्य की महिला बाल कल्याण मंत्री पंकजा
मुंडे ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने मीडिया से कहा, 'मैं बिना सोए लगातार 56 घंटे तक दस्तावेज के अध्ययन के बाद
इस निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि मैंने और मेरे विभाग ने ऐसा कोई घोटाला नहीं किया
है। हम पर लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित है, जिसकी जांच कराने के लिए मैं पूरी तरह तैयार हूं।'
इधर, विपक्ष ने पंकजा की सफाई को मानने से इनकार कर दिया है। विपक्ष ने
कहा है कि पंकजा इस घोटाले में लिप्त हैं, इसलिए
उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण विखे-पाटील ने कहा
है कि जब तक शिक्षा मंत्री विनोद तावडे और पंकजा मुंडे इस्तीफा नहीं देते, तब तक 13 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र
की बैठक नहीं चलने देंगे।
पंकजा मुंडे ने अपनी सफाई देने के
लिए बुधवार को सरकारी अतिथिगृह सहयाद्री में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, जिसमें उनके समर्थक भी आए। उनकी
बहन व सांसद प्रीतम मुंडे, एमएलसी
महादेव जानकर,
एमएलसी माधुरी मीसल, विधायक संगीता थोम्बरे और विभाग के
अधिकारी मौजूद थे। पंकजा ने कहा, 'यह
शब्दों का घोटाला है। इसी नियम के तहत ही कांग्रेस-एनसीपी की सरकार ने सन 2010 से 2014 के बीच 408 करोड़
रुपये का यही सामान खरीदा था। रेट कॉन्ट्रैक्ट खरीदी प्रक्रिया सही है और एक रुपये
की भी अनियमितता नहीं हुई है।'
शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने अपने
ऊपर लगे आरोपों की सफाई देने के लिए मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी। तावडे
का बचाव करने के लिए वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और सहकार मंत्री चंद्रकांत
पाटिल दौड़े चले आए, पर
पंकजा के बचाव में कोई नहीं आया। दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे के कभी करीबी रहे गृह
निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता देर से पहुंचे। उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आए मेहता
के चेहरे की मुस्कराहट गायब थी। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए पंकजा ने कहा कि
वित्त मंत्री और सहकार मंत्री का कार्यक्रम पहले से तय था, इसलिए वे नहीं आए। उन्होंने कहा कि
उनके समर्थन में करोड़ों लोग हैं। अहमदनगर
की एक जिला अदालत में दीवानी मामला दायर किया गया है, जिसमें राज्य के अधिकारियों और
महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे को एक स्थानीय कंपनी द्वारा आदिवासी छात्रों को
बेची जाने वाली 'चिक्की' पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने
की मांग की गई है।
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