Thursday, January 28, 2010

एक बार फिर सही साबित किया दो गैर-मराठियों ने।

कहते हैं कि संगीत सरहदें नहीं जानता और सभी सीमाओं के परे जाकर सुनने वालों के दिलों तक पहुंचता है। इस बात को एक बार फिर सही साबित किया दो गैर-मराठियों ने। दोनों मराठी भाषा में हो रहे सारेगामा को जीतने की होड़ में शामिल हैं। मराठी सारेगामा के फाइनल में पहुंचे वाले तीन कंटेस्टेंट में दो गैर-मराठी हैं। अभिलाषा चेलम तमिल हैं जबकि राहुल सक्सेना उत्तर भारतीय। प्रतियोगिता में एकमात्र मराठी हैं उर्मिला धांगर जो मुंबई के बाहरी इलाके बदलापुर की हैं। गौरतलब है कि इनदिनों मुंबई में एमएनएस ने टैक्सी ड्राइवरों को धमकी दी है कि वह 40 दिनों के भीतर मराठी सीखें या मुंबई छोड़ दें। एमएनएस की इस धमकी की तीखी आलोचना हो रही है। अभिलाषा और राहुल ने शो में अपने तजुर्बे को शेयर करते हुए बताया कि शुरू में दोनों मराठी भाषा से अनजाने थे। लेकिन अब वह इस भाषा को पसंद करते हैं। अभिलाषा ने कहा कि उन्होंने इस शो के लिए हुए ऑडिशन में सात मराठी गाने याद कर लिए थे। अभिलाषा एक साल पहले ही मुंबई आई हैं। अभिलाषा का कहना है कि मराठी गानों को समझने में रिसर्च टीम ने भी पूरा साथ दिया और वह अब गानों के बोल के अलावा उनके मतलब और संदर्भ को भी समझने लगी हैं। वहीं, राहुल सात साल पहले मुंबई आए थे। राहुल के मुताबिक वह हमेशा मराठी गीतों और कल्चर से प्रभावित थे। राहुल ने कहा कि वह कभी कभार मराठी गीत गाते थे। लेकिन अब वह इनके मतलब भी समझने लगे हैं, जिससे उन्हें ज़्यादा मजा आ रहा है।

No comments:

Post a Comment