Thursday, June 11, 2009

शहर में बढ़ती वाहनों की भीड़ को देखते हुए बाहरी वाहनों का प्रवेश शहर में एक हफ्ते के लिए रोका जाए,

अगर शहर से बाहर की कारों का यहां की सड़कों पर आगमन कम हो जाए, तो मुम्बईकरों को जहां बढ़ते प्रदूषण से राहत मिलेगी, वहीं यहां ट्रैफिक जाम की समस्या भी कुछ हद तक कम हो जाएगी। इस बाबत बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को ग्रेटर मुम्बई महानगर पालिका (एमसीजीएम) को आदेश दिया है कि रजिस्ट्रेशन नंबरों के आधार पर बाहर से आने वाली कारों का शहर में प्रवेश एक हफ्ते के लिए रोका जाए, ताकि वी. एम. लाल कमेटी की रिपोर्ट की प्रायोगिक तौर पर जांच की जा सके। बॉम्बे इन्वाइरन्मंटल ऐक्शन ग्रुप (एनजीओ) द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश बिलाल नाजकी और वी. के. ताहिलरमानी की खंडपीठ ने शहर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर यह फैसला सुनाया। इस फैसले के तहत शहर में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए एक हफ्ते का डेमो कराया जाएगा, यदि इससे कुछ फर्क पड़ा, तो आगे भी इसे लागू किया जा सकता है। इसके अलावा कोर्ट ने वी. एम. कमेटी के दूसरे सुझावों पर गौर फरमाने को कहा है, जिसमें बाहरी वाहनों की भीड़ पर नियंत्रण के लिए टैक्स में भी बढ़ोतरी किए जाने की वकालत की गई है। याचिका में एनजीओ ने बढ़ते प्रदूषण के लिए वाहनों की भीड़ को जिम्मेदार ठहराते हुए शहर की सड़कों पर प्राइवेट वाहनों (खासतौर पर बाहर की निजी कारों) के आगमन पर लगाम कसने की अपील की है। अपील में बी. एम. लाल कमेटी द्वारा सुझाए गए प्रस्ताव को भी रखा गया है, जिसमें कहा गया है कि शहर में बढ़ती वाहनों की भीड़ को देखते हुए बाहरी वाहनों का प्रवेश शहर में एक हफ्ते के लिए रोका जाए, ताकि प्रदूषण व जाम की समस्या का सही सही आंकलन हो सके। इस तहत उन कारों की संख्या पर प्रकाश डाला गया है, जो रोजाना शहर की सीमा में दाखिल होती हैं। हालांकि, एमसीजीएम ने उक्त प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, लेकिन बुधवार को हाईकोर्ट का आदेश मिलने के बाद अब शहर की सड़कों पर ऐसे वाहनों की उपलब्धता पर गौर किया जाना सुनिश्चित है। उक्त सुझावों पर परीक्षण करने के बाद नतीजों से एमसीजीएम द्वारा दो हफ्तों के भीतर न्यायालय को अवगत करा दिया जाएगा। जस्टिस नाजकी ने कहा कि इस तरह के सुझावों पर प्रायोगिक तौर पर ही सही प्रयास अवश्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दस फीसदी लोगों की वजह से 90 फीसदी लोग क्यों प्रदूषण का सामना करें। एनजीओ के मुताबिक यहां महज दस से पंद्रह फीसदी लोग ही आवागमन के लिए कार या बाइक का इस्तेमाल करते हैं। गौरतलब है कि हाल ही में कोर्ट ने सरकार से कहा था कि प्राइवेट वाहनों पर निर्भरता घटाने के मामले में सरकार क्या कर रही है। एक अन्य सुझाव में वी. एम. लाल कमिटी ने कहा था कि बाहर से शहर में दाखिल होने वाले वाहनों की भीड़ पर नियंत्रण के लिए टैक्स में भी बढ़ोतरी किया जाना चाहिए। इस पर सरकारी वकील ने एतराज जताते हुए अपनी दलील में कहा था कि शहर के पांच इंट्री प्वाइंट पर टैक्स वसूली के लिए कॉर्परशन के पास इतनी बड़ी संख्या में मैन पॉवर मौजूद नहीं है।

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