Monday, August 24, 2015

पारसी डेयरी फार्म बंद होने की कगार पर

100 साल से भी ज्यादा समय से मुंबई के पारसी डेयरी फार्म ने शहर के लोगों को बेहतरीन क्वॉलिटी का दूध, मक्खन, घी और तरह-तरह की स्वादिष्ट मिठाइयां मुहैया कराई हैं। खाने के शौकीन दशकों से यहां की मशहूर कुल्फियों पर अपनी जान छिड़कते आ रहे हैं। 
1916
में पारसी व्यवसायी नरीमन अरदेशिर द्वारा स्थापित यह विटेंज दुकान बंद होने की कगार पर है। इस सिलसिले में पहला कदम उठाते हुए नरीमन परिवार ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित तालासारी के इस 300 एकड़ की जमीन को बेचने का फैसला किया है। 

हालांकि नरीमन परिवार का कहना है कि वे डेयरी का अपना कारोबार जारी रखेंगे, लेकिन जानकारी के मुताबिक नरीमन परिवार अपना ब्रांड भी बेचने जा रहा है। इस समय नरिमन परिवार में 8 पार्टनर हैं। परिवार ने जानवरों को रखने और अपने डेयरी कारोबार की अन्य जरूरतों के लिए यह जमीन साल 1968 में खरीदी थी। 
नरीमन परिवार ने रियल स्टेट सलाहकार फर्म प्रारोण कंसल्टेन्सी के प्रणय वकील को जमीन बेचने पर मशविरे के लिए नियुक्त किया है। वकील ने कहा, 'यह जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग को छूती है। इस जगह को या तो टाउनशिप के लिए, या फिर विशेष आर्थिक जोन के लिए, या फिर आवासीय कॉलोनी वगैरह के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।' 
पिछले डेढ़ दशक के दौरान ही पारसी डेयरी बिजनस रोजाना 15,000 लीटर दूध की सप्लाई से घटकर 2,000 लीटर की सप्लाई पर पहुंच चुका है। इसके खरीदार मुख्य रूप से वालकेश्वर से कफे परेड और कोलाबा जैसे दक्षिणी मुंबई के इलाकों में हैं। 2006 की एक श्रमिक हड़ताल से बिजनस पर और भी ज्यादा असर पड़ा और यह सिकुड़कर और भी छोटा हो गया। परिवार के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय में पारसी डेयरी बिजनस का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ के करीब है। 
पारसी इतिहासकार और लेखक मरजबान गियारा का कहना है कि यह डेयरी अपने दूध, लस्सी, कुल्फी, सफेद मक्खन, घी और भारतीय मिठाइयों के स्वाद और उनकी क्वॉलिटी के लिए बेहद मशहूर है।

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