Thursday, October 31, 2013

समीकरण की नींव हिलती

 नई दिल्ली में 'थर्ड फ्रंट' सम्मेलन का राष्ट्रीय स्तर पर असर चाहे जितना सीमित दिखे, महाराष्ट्र में सत्ता के समीकरण की नींव हिलती नजर आ रही है। इस सम्मेलन में एनसीपी की मौजूदगी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब हो सकती है। 1999 से दोनों पार्टियां राज्य और केंद्र, दोनों स्तरों पर सत्ता में साझेदार हैं। एनसीपी के इस बदले तेवर से कांग्रेस में बेचैनी लाजमी है। इनके अलावा, रिपब्लिकन नेता प्रकाश आंबेडकर की शिरकत ने उसके पास उपलब्ध आगे के विकल्पों पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

आठवले भी नहीं, आंबेडकर भी गए: थर्ड फ्रंट के नाम पर महाराष्ट्र में सीपीआई, सीपीएम, जनता दल(यू), समाजवादी पार्टी और शेतकरी कामगार पार्टी का गठजोड़ होगा, यह तो काफी समय पहले तय हो चुका था। इसमें प्रकाश आंबेडकर का एकाएक शामिल होना कांग्रेस के लिए झटका माना जा रहा है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाती हैं प्रकाश आंबेडकर। सैंकड़ों धड़ों में बंटे दलित पार्टियों में सिर्फ रामदास आठवले और आंबेडकर के ही घटक ऐसे हैं, जिनके संगठनों का असर राज्यभर में देखा जा सकता है।

शुरुआत से कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे आठवले कुछ वर्ष पहले इनका साथ छोड़कर विपक्षी शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के साथ हो लिए हैं। तब से प्रदेश में कांग्रेस पार्टी लगातार यह संकेत देती रही है कि आंबेडकर उसके साथ आकर आठवले की कमी को पूरा कर देंगे। डेढ़ साल पहले तो महाराष्ट्र कांग्रेस ने बाकायदा यह घोषणा तक कर दी थी कि आंबेडकर जिला परिषद के चुनाव उसके साथ मिलकर लड़ेंगे। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में इसके लिए आयोजित प्रेस सम्मेलन में आंबेडकर पहुंचे ही नहीं।

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