Thursday, October 3, 2013

फाइल प्रक्रिया पूरी की तभी तो बजट में 1.25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा सका

डॉकयॉर्ड के जिस इमारत ने 61 लोगों को निगललिया , उसी की रिपेयिरंग के लिए बीएमसी ने इस साल केबजट में 1.25 करोड़ रुपये प्रावधान किया था। किंतु बजटपारित होने के छह महीने के बाद भी कुछ नहीं किया गया।रिपेयिरंग का प्लान तो बनाया ही नहीं जा सका। ऐसे मेंनिविदा प्रक्रिया तो शुरू करना दूर की बात है। अब सवाल उनउन्हीं लोगों पर उठाया जा रहा है। इस बात को खंगाला जारहा है कि किस विभाग ने कितने दिनों तक फाइलें रोकी। 
जुलाई
 2011 के आसपास मार्केट विभाग निरीक्षक जमाल काजी ने  वॉर्ड और मार्केट विभाग को पत्र लिखकरबिल्डिंग की सख्त रिपेयरिंग की आवश्यकता बताई थी।  वॉर्ड ने इमारत का मुआयना करने के बाद तत्कालबिल्डिंग खाली करने के लिए कहा। उस बाबत मार्केट विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर चंद्रशेखर चोरे और प्लानिंगएंड डिजाइन ( पीऐंडडी ) को विस्तार लिखित जानकारी दी गई। बिल्डंग खाली कराने के लिए चोरे ने मार्केटविभाग के दो अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी। ताकि , पीऐंडडी और वॉर्ड नियमित उन दोनों से संपर्क कर सके।करीब छह - सात महीने बीतने के बाद पीऐंडडी के अधिकारियों ने दौरा किया। उसके बाद ही इमारत केरिपेयिरंग हेतु सलाहकार नियुक्ति किया। 
इस
 पूरी कहानी में प्लानिंग विभाग को कटधरे में खड़ा किया जा रहा है जबकि प्लानिंग विभाग के लोग बताते हैं कि सिविल वर्क्स हेतु 1.76 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया और बिजली के खर्च की लागत तय करने लिए उसविभाग को भेज दिया। उसके बाद से ही रिपेयिरंग की वह फाइल कभी यहां तो कभी वहां धूमती रही। इसी बीचसाल 201314 के बजट में उस इमारत की रिपयरिंग हेतु 1.25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। प्लानिंगविभाग के लोग कहते हैं कि हमारे उपर आरोप लगाया जा रहा है कि हमने फाइल रोकी पर असलियत यह है किपीऐंडडी ने फाइल प्रक्रिया पूरी की तभी तो बजट में 1.25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा सका , वर्ना यहरकम किस आधार पर तय किया गया ? 
बिल्डिंग
 गिरने की घटना के दौरान एक अजीब पहलू दिखाई दिया जिसे लेकर पुलिस ने भी उंगली उठाई है।शुक्रवार की भोर में बिल्डिंग गिरीऔर सोमवार की सुबह तक बचाव कार्य चलता रहा। यानी एक तरफ बचावकार्य चल रहा है तो दूसरी तरफ बचाव कार्य की उपेक्षा करते हुए उपअधीक्षक बी़ सी़ चव्हाण शिवडी पुलिसस्टेशन में जाकर उस इमारत के डेकारेटर पर एफआईआर दर्ज करा रहे थे। बीएमसी की यह जल्दबाजी भी गलेनहीं उतरी। उल्टे शिकायत करने वाले चव्हाण को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। डेप्युटी पुलिस कमिश्नरतानाजी घाडगे द्वारा जल्दबाजी में शिकायत दर्ज करने की बाबत सवाल उठाया गया है। उनका कहना है कि होसकता है कि पुलिस को मिसगाइड करने के लिए बीएमसी कर्मियों ने एफआईआर दर्ज कराया हो। 

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