Thursday, April 9, 2009

बहुत जल्द मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलिज और बाकी 500 कॉलिज मुंबई यूनिवर्सिटी से अलग हो जाएंगे।

कॉलिजों को यूनिवर्सिटियों के अंडर में रखने का ब्रिटिश जमाने से चला आ रहा सिस्टम अब ज्यादा दिन नहीं चलेगा। बहुत जल्द मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलिज और बाकी 500 कॉलिज मुंबई यूनिवर्सिटी से अलग हो जाएंगे। अभी ये सभी मुंबई यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। इसी तरह, मिरांडा हाउस और दिल्ली यूनिवर्सिटी के दूसरे कॉलिजों, चेन्नै के लोयॉला और कोलकाता यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रेजिडेंसी कॉलिज को भी अलग कर दिया जाएगा। मौजूदा सिस्टम की जगह पर नैशनल नॉलिज कमिशन ने एक अंडरग्रैजुएट बोर्ड बनाने का प्रस्ताव दिया है। इससे यूनिवर्सिटीज भी कॉलिज की देखरेख के काम से मुक्त हो जाएंगी। इससे उनके टाइम और एनजीर् की भी बचत होगी और वे इसे दूसरे बड़े कामों, मसलन, रिसर्च और पोस्ट ग्रैजुएट स्टडीज में भी लगा सकेंगे। आश्चर्यजनक रूप से कमिशन का यह प्रस्ताव काफी आसानी से स्वीकार कर लिया गया, क्योंकि ज्यादातर राज्य अपने यहां पहले से ही ऐसे ड्राफ्ट बिल और दूसरे उपायों को अमल में लाने की तैयारी कर रहे थे। जिन राज्यों ने पॉजिटिव रुख दिखाया है, उनमें दिल्ली, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और पुडुचेरी शामिल हैं। कमिशन के प्रस्ताव को मिले समर्थन से साफ है कि मौजूदा सिस्टम में यूनिवर्सिटी अपने कंधों पर जरूरत से ज्यादा बोझ लिए हैं। अंडरग्रैजुएट बोर्ड आईसीएसई या सीबीएसई बोर्ड की तरह काम करेगा। यह शैक्षिक और प्रशासनिक दोनों काम करेगा। इनमें सिलेबस, एग्जाम, डिग्री और फाइनैंस से जुडे़ काम शामिल होंगे।

No comments:

Post a Comment