Tuesday, February 17, 2009

शिवराज पाटिल बने लेखक

गृह मंत्रालय से छुट्टी के बाद शिवराज पाटिल आजकल अपना ज़्यादातर वक्त किताब लिखने में लगा रहे हैं। मुम्बई पर आतंकी हमले के बाद गृह मंत्रालय से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल इन दिनों पुस्तक लिखने में व्यस्त हैं । इस किताब के बारे में उनका कहना है कि यह किताब भारतीय राजनीति और लोकतंत्र का व्यवहारिक चेहरा होगी। शिवराज पाटिल ने विशेष बातचीत में कहा, इन दिनों मैं किताब लिखने में व्यस्त हूं। पुस्तक 'विदाउट स्पेस' के 400 पन्ने लिखे जा चुके हैं जो मेरे पूरे जीवन, काम, आसपास के लोगों, संगठनों और सहयोगियों का व्यावहारिक चित्र प्रस्तुत करेगी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा इस पुस्तक में किसी विषय को लेकर या किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप नहीं है और न ही मैंने इसके जरिये अपने उपर लगाये गए कथित आरोपों का जवाब देने की कोशिश की है। पाटिल ने कहा इतने सालों के अपने संघर्षकाल में मैंने अपने आसपास जो कुछ देखा है-महसूस किया है, उसे इस किताब में लिखने की कोशिश भर की है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्ववाली कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में गृह मंत्री रहे शिवराज पाटिल ने 26 नवंबर 2008 को मुम्बई पर आतंकी हमले के बाद 30 नवंबर को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था पाटिल ने कहा यह पुस्तक राष्ट्रीय स्तर पर, प्रांत के स्तर पर और एक व्यक्ति के स्तर पर मेरे अनुभव का दस्तावेज है।इस पुस्तक में अतीत में घटी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ आने वाले समय में उन घटनाओं के प्रभाव के बारे में मेरे विचार होंगे. उन्होंने कहा पुस्तक में मेरे जीवन, एक मंत्री के रूप में मेरे कार्य, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य के साथ देश में चुनाव की प्रक्रिया और राजनीति के साथ भारतीय लोकतंत्र और दलगत राजनीति के विभिन्न पहलुओं का जिक्र होगा। पाटिल ने कहा पुस्तक में भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था, नीति निर्माण और पालन का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा यह पुस्तक मेरी जीवन यात्रा का संकलन है। गौरतलब है कि शिवराज पाटिल महाराष्ट्र विधानसभा के लिए दो बार निर्वाचित हुए और उन्होंने लगातार सात बार लोकसभा चुनाव जीता और यह सिलसिला 2004 के लोकसभा चुनाव में टूटा जब लातूर से वह पराजित हो गए। पाटिल ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में रक्षा और वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का कार्यभार संभाला और 1991 से 1996 तक वह लोकसभा अध्यक्ष भी रहे।

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