Monday, May 19, 2014

सीएम ऑफिस से कोई जवाब नहीं मिल रहा है।

दिवा-सावंतवाड़ी पैसेंजर ट्रेन हादसे के बाद गुरुवार को सीआरएस जांच शुरू हुई, जिसमें हादसे के चश्मदीद लोगों को बुलाया गया। इसी बीच रेलवे और राज्य सरकार के बीच आपातकालीन स्थिति में समन्वय की कमी भी खुलकर सामने आई, जहां सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधक सुनील कुमार सूद ने एक अखबार को स्टेटमेंट देते हुए कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से पिछले 6 माह से परेशानियों पर बात करने के लिए वक्त मांग रहे हैं, लेकिन सीएम ऑफिस से कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
रेलवे की तथाकथित परेशानियों में आपातकालीन स्थितियों में राज्यों के अस्पतालों की व्यवस्था और सड़कों के हालात पर फोकस किया जाना था, इसके अलावा संसाधनों की कमी से जूझ रही रेलवे को किस तरह राज्य सरकार की मदद से उबारा जाए, इस पर चर्चा की जानी थी।

4 मई को नागोठाणे और रोहा के बीच हुई दुर्घटना के तकरीबन 2 घंटे बाद रेलवे की ऐक्सिडेंट रिलीफ मेडिकल वैन (एआरएमवी) घटनास्थल पर पहुंची थी। सेंट्रल रेलवे के पूरे मुंबई डिविजन में केवल एक एआरएमवी है, जो कि कल्याण स्टेशन पर स्थित है। सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी ने पहचान छुपाने की शर्त पर कहा, 'पूरे मुंबई डिविजन में एक एआरएमवी है, जो कि कल्याण स्थित है और 4 मई के दुर्घटना स्थल के सबसे नजदीक वही थी, उसे भी पहुंचने में 2 घंटे लग गए।
इसके अलावा लोनावाला, पुणे और इगतपुरी में एक-एक एआरएमवी उपलब्ध है। आपातकालीन स्थितियों में सड़कों की हालत देखते हुए सबसे जल्दी मेडिकल हेल्प पहुंचाने के लिए केवल एआरएमवी ही एक विकल्प बच जाता है, लेकिन इसकी संख्या बढ़ाने पर ही इसका सही लाभ मिल पाएगा।'
हादसे वाले दिन कल्याण पर मौजूद एआरएमवी हादसे के तकरीबन 40 मिनट बाद चली थी, कंट्रोल रूम से देरी से मिले संदेश को इसका कारण बताया जा रहा है।
'यदि रेलवे द्वारा एआरएमवी को प्रति सौ किलोमीटर के दायरे में भी लगा दिया जाए तो मेडिकल वैन के संचालन के लिए डॉक्टरों की जरूरत होगी, जिन्हें रखने के लिए आवास और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करानी होगी।'
 

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