Monday, August 19, 2013

मुंबई में आक्सीजनको तरसती ऐसी तमाम गलियां व सड़कें

जीवन के लिए रोटी  कपड़ा  मकान जितना जरूरीहै उतना ही जरूरी है शुद्ध पानी , निर्मल वातावरण  स्वच्छहवा , अर्थात आक्सीजन। शहर के कुछ ऐसे रिहायशी इलाके हैंजहां जीवन जीने के लिए अहम सांसें टूटने लगी हैं। आक्सीजनको तरसती ऐसी तमाम गलियां  सड़कें और वहां रह रहे लोगहैं। यहां मुंबई के 30-40 फीसदी लोगों का रोजाना आना -जाना रहता है। 
जोन 1 के  और बी वार्ड के अंतर्गत मस्जिद बंदर , मनीषमार्केट , लोहार चॉल , कालबादेवी , भूलेश्वर , नल बाजार ,मुंबादेवी , जवेरी बाजार इत्यादि तमाम प्रसिद्ध , घने  व्यस्त रिहायशी इलाके हैं। यहां आक्सीजन के परिमाणकी काफी कमी है और अन्य हानिकारक तत्वों की संख्या हवा में ज्यादा है। साथ ही हवा में कार्बन डायआक्साइडकी बढ़ती मात्रा भी चिंता का विषय है। पेड़ों की संख्या तो इतनी कम ( करीब दो - तीन हजार ) है कि आप कोशुद्ध हवा  आक्सीजन के लिए तरस जाना पड़ेगा। 
इन इलाकों में पेड़ों की संख्या इतनी कम है कि वे उंगलियों पर भी आसानी से गिने जा सकते हैं। फुटपाथ दुकानोंऔर फेरीवालों के अतिक्रमण का शिकार हैं। जो बचे हैं वे पत्थरों  क्रंक्रीट से ढके हुए हैं। कुछ पेड़ लोगों ने हीउखाड़ फेके हैं , जो बच रहे हैं उनके आस - पास ईंट , पत्थर , रेती आदि के ढेर लगे हैं। जवेरी बाजार के बुजर्गमो . लाडले (67) ने बताया , ' घर से बाहर निकलने का कोई चार्म नहीं है। हमारी रिटायरमेंट लाइफ लगभगसमाप्त हो गई है। ' एक अन्य नागरिक ने बताया , ' परिस्थिति ऐसी ही रही तो जीने के लिए भविष्य में हमेंऑक्सीजन मास्क  सिलिंडर लेकर चलना पड़ सकता है। ' 

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