Thursday, September 10, 2009

कांग्रेस का रौब बढ़ता जा रहा है।

सुपर स्टार अमिताभ बच्चन और शशि कपूर पर फिल्माया गया 'दीवार' फिल्म का मशहूर डायलॉग 'तुम्हारे पास क्या है?', इन दिनों राजनीति में नया जुमला बन गया है। खासतौर पर इसलिए कि दमदार नेता न होने के बावजूद कांग्रेस का रौब बढ़ता जा रहा है। जिस कदर कांग्रेस ने एनसीपी को बेचारगी का एहसास कराया है, उसके मद्देनजर यह पूछा जा रहा है कि आखिर किसके दम पर कांग्रेस इतनी इतरा रही है? यानी समझिए शिवसेना उसे कह रही है कि ' हमारे पास बाल ठाकरे है, तुम्हारे पास क्या है?' एनसीपी का कहना है 'हमारे पास शरद पवार है, तुम्हारे पास क्या है?' कांग्रेस का जवाब होगा 'मेरे पास पंजा है' सन् 1999 के बाद पहली बार कांग्रेस में इतना जोश, इतना आत्मविश्वास दिख रहा है कि बाकी दल नर्वस महसूस कर रहे हैं। बावजूद इसके कि कांग्रेस के पास ठाकरे या पवार जैसा ब्रैंड नहीं है। बाल ठाकरे के नाम से शिवसेना और बीजेपी वोट बटोरती है। पवार के नाम से एनसीपी चलती है। यह बात अलग है कि दोनों नेताओं का अब असर कम हो रहा है पर इसमें कोई शक नहीं है कि वे महाराष्ट्र के 'ब्रैंड' हैं और यही उनका यूनिक पॉइंट है। महाराष्ट्र कांग्रेस के पास विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे जैसे नेता हैं पर उन्हें पवार, ठाकरे के कद का नहीं माना जा सकता। उनके दम पर कांग्रेस 80-90 सीटें नहीं खींच सकती। हाल के लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें मिली। यह रिजल्ट देखकर खुद कांग्रेस के नेता भी हैरत में पड़ गए थे। इसी तरह का करिश्मा विधानसभा में होने की उसे उम्मीद है। वैसे कुल 288 सीटों में कांग्रेस को 80-90 से ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद नहीं है। पर सबसे बड़ी पार्टी बनने का मौका उसे मिल सकता है। मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के लिए उतना ही काफी समझा जाता है। अनुमान है कि बाकी नेता उससे भी कमजोर प्रदर्शन करेंगे। जब पवार कांग्रेस में थे या उससे भी पहले से महाराष्ट्र में कांग्रेस का इतना प्रभाव था कि चुनाव में शिवसेना-बीजेपी का सफाया तय होता था। महाराष्ट्र की स्थापना के बाद तीस साल तक कांग्रेस ने शिवसेना-बीजेपी को विधानसभा में घुसने नहीं दिया था। 1990 तक विधानसभा में शिवसेना का एक और बीजेपी के एक दर्जन से कम विधायक चुने जाते

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