भाभा एटोमिक रिसर्च
सेंटर (बीएआरसी) की 'निसर्गऋण'
परियोजना की तर्ज पर बीएमसी भी कचरे से गैस बनाने पर विचार कर
रही है। प्रशासन ने सभी 24 वॉर्डों में परियोजना को
वास्तविक रूप देने के लिए जगह तलाशने का काम शुरू कर दिया है। 'निसर्गऋण' को साकार बनाने के लिए बीएमसी दूसरी
संस्थाओं से भी मदद ले रही है। कचरे के डंपिंग की समस्या से जूझ रही बीएमसी को
परियोजना से काफी हद तक नियंत्रण पाने में कामयाबी मिलेगी।
मुंबई में हर दिन 6500 मीट्रिक टन से अधिक कचरा निर्माण होता है। मुलुंड और देवनार डंपिंग ग्राउंड तक शहर के कोने-कोने से कचरा ले जाने में बीएमसी को करोड़ों रुपये खर्च करती है। इन सब के बावजूद कचरे की समस्या कम नहीं हो रही है। डंपिंग ग्राउंड भी अपने क्षमता के करीब पहुंच गए हैं। एमएनएस नगरसेवक गटनेता दिलीप लांडे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से मुंबई में उत्पन्न होनेवाले कचरे से गैस बनाने के योजना पर काम करने की मांग की थी।
मुंबई में हर दिन 6500 मीट्रिक टन से अधिक कचरा निर्माण होता है। मुलुंड और देवनार डंपिंग ग्राउंड तक शहर के कोने-कोने से कचरा ले जाने में बीएमसी को करोड़ों रुपये खर्च करती है। इन सब के बावजूद कचरे की समस्या कम नहीं हो रही है। डंपिंग ग्राउंड भी अपने क्षमता के करीब पहुंच गए हैं। एमएनएस नगरसेवक गटनेता दिलीप लांडे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से मुंबई में उत्पन्न होनेवाले कचरे से गैस बनाने के योजना पर काम करने की मांग की थी।
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