Wednesday, June 11, 2014

महत्वपूर्ण फाइलें यहां से वहां और वहां से यहां घूमती रहती हैं

सरकार घोषणा पर घोषणा करती है, पर उन घोषणाओं को अमल में नहीं लाती। महत्वपूर्ण फाइलें यहां से वहां और वहां से यहां घूमती रहती हैं, पर काम नहीं होता, फैसले नहीं लिए जाते। इससे राज्य की सामान्य जनता हैरान है कि आखिर सरकार कर क्या रही है? सरकार का चेहरा साफ-सुथरा होने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि सरकार को नकारात्मक छोड़ सकारात्मक निर्णय लेंगे होंगे, अन्यथा आने वाले दिन इस सरकार के लिए अच्छे नहीं होंगे। यह खरी-खरी कोई और नहीं, बल्कि सरकार के विधायक ही सरकार को सुना रहे थे। उनका साथ विरोधी पक्ष चटखारे लेकर दे रहा था।
मंगलवार को विधानसभा में पूरक मांगों पर चर्चा की शुरुआत बाबा सिद्दीकी ने की। कांग्रेस के विधायक ने चर्चा शुरू करते हुए अपनी ही सरकार को घेरा। उस वक्त मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण सदन में उपस्थित थे। बाबा ने सवाल उठाया कि सरकार का ऐसे ही कामकाज चलता रहा, तो निश्चित ही आने वाले दिन अच्छे नहीं होंगे। उन्होंने सरकार के निर्णय लेने की क्षमता पर सवाल उठाया। पर्यावरण के नाम पर रोकी जा रही योजनाओं, गांवठान, एफएसआई जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय नहीं लिए जाने की शिकायत की। बाबा ने मुंबई में महंगे होते घर का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि मुंबई शहर में घर आम लोगों की पहुंच से बाहर चला गया है। मराठी माणुस को बाहर जाना पड़ रहा है। मराठी माणुस को बचाने की गुहार बाबा ने लगाई।
कांग्रेसी के सहयोगी दल एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने भी सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं रखी। मलिक ने कहा कि विधान भवन में घोषित की गई योजनाओं को तीन महीने के भीतर अमल में लाना चाहिए, किंतु 20-20 साल बीत जाने के बाद भी प्रशासन निर्णय नहीं लेता। अधिकारी सरकार की घोषणा की गई योजनाओं पर ध्यान ही नहीं देते। मुंबई महानगर में एमएमआरडीए के कई सारे प्रकल्प 10-10 साल से चल रहे हैं, पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं। मुंबई मेट्रो-2 का भूमिपूजन किए चार-पांच साल हो गए, पर अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। मलिक ने कहा कि सरकार का कामकाज ऐसे ही चलता रहा, तो आने वाले दिन अच्छे नहीं होंगे। इनके अलावा मुंबई के अमीन पटेल सहित राज्य के कई विधायकों ने सरकार को घेरा।
विरोधी पक्ष नेता एकनाथ खडसे ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण पर आरोप लगाया कि एक लाख करोड़ रुपये का घोटाला करने वालों को मुख्यमंत्री बचा रहे हैं। पिछले तीन साल में भ्रष्टाचार के 103 मामले मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया गया। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकाली गई है, जिसके कागजात भी मुख्यमंत्री को दे दिए गए हैं, पर मुख्यमंत्री ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे सिद्ध होता है कि उन भ्रष्टाचारियों के ऊपर मुख्यमंत्री का हाथ है। खडसे ने कहा कि राज्य पर 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। और भी कर्ज लेने पर विभागों को पैसा नहीं मिल रहा है।
खडसे ने एक-एक कर सरकार के घोटाले और भ्रष्टाचार सदन में रखे। खडसे के साथ-साथ बीजेपी के प्रकाश मेहता, सरदार तारासिंह, मंगलप्रभात लोढ़ा के अलावा शिवसेना के सुभाष देसाई, एनसीपी के बाला नांदगांवकर सहित अन्य विधायकों ने भी सरकार की कमजोर नस पर हाथ रखा।

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