Monday, March 8, 2010

पहले मुम्बईकरों की प्यास बुझाओ फिर उद्यानों को सुन्दर बनाओ।

आर्थिक मंदी से जूझ रही बीएमसी के पिटारे से पवई पार्क के सौंदर्यीकरण का भूत फिर से निकल पड़ा है। एक बार फिर से लोगों को पानी पिलाने का पैसा पार्कों के सौंदर्यीकरण पर खर्च करने के लिए मुम्बई महानगरपालिका ने अपनी तिजोरी पर लगे ताले खोल दिए हैं। बीएमसी की इस हरकत पर लगाम लगाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने कमर कस ली है। उनका कहना है पहले मुम्बईकरों की प्यास बुझाओ फिर उद्यानों को सुन्दर बनाओ। पवई झील से सटकर ही करीब 27 एकड़ के भूखंड पर पवई उद्यान है जिसका नाम डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर दिया गया है। इस उद्यान के सौंदयीर्करण पर इससे पहले भी बीएमसी ने खूब हाथ पैर चलाए थे। 21 नवम्बर, 2006 को टेंडर भी मंगाए थे। बीएमसी ने पार्क पर 33 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई थी लेकिन ठेकेदारों ने उस काम को 65 करोड़ रुपए में करने का टेंडर भरा जिसे प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया। 2 जनवरी, 2007 के दिन फिर से टेंडर मंगाए गए। इस बार वही काम 43.83 करोड़ रुपए में करने के लिए ठेकेदार तैयार हो गए परंतु प्रशासन ने ठेकेदार मे बीपीएल-बीबीसी जॉइन्ट वेंचर से बातचीत कर उसे 38.31 करोड़ रुपए में काम करने के लिए मना लिया। एक साल बीतने के बाद भी सौंदर्यीकरण का रुका पड़ा रहा। शिकायत मिलने के बाद स्थायी समिति ने उद्यान का दौरा किया। काम नहीं करने के लिए सदस्यों ने ठेकेदार पर जमकर भड़ास उतारी और बीएमसी ने उस ठेकेदार से काम छीन लिया। इसके पश्चात सौंदर्यीकरण का काम ठप पड़ा रहा। तीन साल बाद बीएमसी प्रशासन के सिर पर फिर से उसी उद्यान के सौंदर्यीकरण का भूत सवार हो गया है। बताया जा रहा है कि चंद नेताओं व ठेकेदारों के दबाव के सामने प्रशासन नतमस्तक हो गया हैं। उनके दबाव के चलते ही सौंदर्यीकरण के लिए टेंडर मंगाए गए वरना आर्थिक मंदी से जूझ रही बीएमसी को इस समय इस काम को हाथ में लेने की जरूरत ही नहीं थी। अब वही काम बीएमसी लगभग 20 करोड़ रुपए में करा रही हैं जबकि 2007 में इसी काम के लिए 38.31 करोड़ रुपए खर्च कर रही थी।

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