Saturday, March 20, 2010

'भूखे भजन न होए गोपाला'।

महाराष्ट्र विधान मंडल के बजट सत्र के पहले ही दिन विधायकों का खाना खराब हो गया। अब तक कैंटीन के सस्ते खाने का जायका लेने वाले कई विधायकों को खाना तो दूर नाश्ता भी नसीब नहीं हुआ। नतीजा यह हुआ कि कैंटीन की नई व्यवस्था से नाराज नेताओं ने सरकार से कहा 'भूखे भजन न होए गोपाला'। विधान भवन परिसर में सत्र के दौरान हमेशा गुलजार रहने वाले कैंटीन में इस बार सब कुछ बदल गया है। कैंटीन का ठेका इस बार निजी ठेकेदार डॉक्टर्स हॉस्पिलिटी को दिया गया है। सरकार ने निजीकरण के तहत कैंटीन का ठेका सेना के एक्स सविर्स मैन की आरक्षित श्रेणी के तहत कर्नल सूद को गत माह दिया है। सरकारी सब्सिडी समाप्त होने से दाम तो दुगने हुए ही व्यवस्था पहले ही दिन चौपट हो गई।
सरकारी सब्सिडी के तहत मिलने वाली चार रुपये की चाय अब 8 रुपये, 8 रुपये की कॉफी 12 रुपये, शीरा 10 का 22, दाल 12 की जगह 25, वेज थाली 22 रुपए से बढ़ कर 65 रुपये और नॉन वेज थाली 30 की जगह 90 रुपए हो गई है। एसी कैंटीन में पहली खेप में जमकर खाना खाने के बाद कुछ विधायक महोदय डकार भी नहीं ले पाए थे कि बिल देख कर उनको अपच हो गया। बीजेपी विधायक गोपाल शेट्टी, सरदार तारा सिंह और योगेश सागर जब राज्यपाल का अभिभाषण समाप्त होने के बाद कैंटीन पहुंचे तो खाने के लिए लगभग कुछ नहीं था। अन्य विधायकों के पेट में भी चूहे दौड़ रहे थे। कैंटीन मैनेजर से शिकायत के बाद तुरंत पकोड़े तले गए तब कहीं विधायकों को कुछ खाने को मिला, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरे की तरह था। विधायकों ने इसकी शिकायत सरकार से की है। जाहिर है कि शिकायत में दाम की नहीं खाने की कमी और क्वालिटी खराब होने की शिकायत मुख्य थी। कैंटीन मैनेजर महेश ठाकुर के अनुसार सेशन का पहला दिन होने से विधायकों से साथ-साथ काफी लोगों के आ जाने से व्यवस्था भंग हो गई। उन्होंने कहा कि हमने यह सोचा नहीं था कि इतने लोग आ जाएंगे। कैंटीन सिर्फ विधायकों के लिए है। उनके साथ अन्य लोगों के आ जाने से अंदाजा बिगड़ गया, लेकिन आगे से अब ऐसा नहीं होगा। दाम बढ़ने के सम्बंध में उन्होंने कहा कि सब्सिडी न होने से खाद्य सामग्री बाजार रेट पर दी जा रही है।

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