Monday, January 19, 2009

ऐसे कम ही दिन होते हैं जब मुम्बई में हजारों लोग एक साथ सड़कों पर उतरते हैं

रविवार यानी मुम्बईकरों के लिए देर तक सोने और रिलैक्स करने का दिन। लेकिन इस रविवार लोग सूर्योदय के पहले ही शहर की एकता, अखंडता और शांति के लिए मैराथन दौड़ के लिए चले आए। जो दौड़ नहीं रहे थे, उन्होंने दर्शक बनकर अपनी तालियों की गूंज से दौड़ने वालों की ऊर्जा बढ़ाई। सीएसटी स्टेशन के बाहर, सुबह ठीक 6 बजकर 45 मिनट पर हाफ मैराथन से मुम्बई मैराथन की शुरुआत हुई और फिर एक के बाद एक फुल मैराथन, वील चेअर इवेंट, सीनियर सिटिजन रन और ड्रीम रन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। ऐसे कम ही दिन होते हैं जब मुम्बई में हजारों लोग एक साथ सड़कों पर उतरते हैं और एक दूसरे का साथ देते हुए चलते हैं। फुल मैराथन और हाफ मैराथन जब शुरू हुआ तो संगीत और दर्शकों के 'भागो मुम्बई भागो' के नारे हवा में शंखनाद करते प्रतीत हुए, लेकिन मुम्बई के जिस उत्साह की बात हम प्राय: करते हैं वह तब सामने आया जब वील चेअर पर बैठे लोगों की मुस्कुराहट सीधे लोगों के दिलों तक पहुंची। भीड़ ने भी हर प्रतिभागी का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया, चाहे वे दर्शक हों, सुरक्षाकर्मी हों या फिर मौके पर मौजूद सेलिब्रिटी। इनके पीछे-पीछे थी दिल से जवां लोगों की वह टोली, जिन्हें सीनियर सिटिजन रन कैटिगरी में जगह मिली थी। इनके सड़क पर उतरते ही सारा माहौल स्टाइल और मस्ती से भर गया। इनमें अधिकतर लोगों ने अपनी टोपी, छतरी आदि के जरिए आतंकवाद का कड़ा विरोध किया। उनके जोश को देखकर जॉन अब्राहम भी इनके पास आने से खुद को नहीं रोक सके। वील चेअर इवेंट के पहले सांसद प्रिया दत्त भी पहुंचीं। जिस समय हाफ रन और फुल मैराथन के धावक अपनी मंजिल का आधा सफर तय कर चुके थे, ठीक उसी वक्त नौ बजे के लगभग शुरू हुआ ड्रीम रन का सफर। ड्रीम रन की यह भीड़ रंगीन भीड़ कही जा सकती है। ट्रैक पैंट्स, हेड बैंड्स, गालों पर बना तिरंगा और हाथों में रंगीन पोस्टरों पर लिखे संदेश लेकर लोग सड़कों पर इसी दौड़ में उतरे।

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