Tuesday, September 10, 2013

गणपति का पूजन एक ही जगह पर

ग्रांट रोड के गांव देवी स्थित एक चाल में 1934 से पुथु लक्ष्मण मानकट्टी का परिवार पारंपरिक तरीके से मंुबई का सबसे पहला गणपति बिठाते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन परिवार के सभी लोग पारंपरिक तरीके से बैंड-बाजे के साथ सिर पर पीढ़ी लेकर गणपति को मूर्तिकार के पास से सुबह-सुबह लाते हैं और फिर उसके बाद निर्धारित जगह पर प्रतिमा को स्थापित उनका पूजन करते हैं। गणपति का पूजन सुबह से प्रारंभ होकर देर शाम तक चलता है। हालांकि, दोपहर बाद से गणपति को विसर्जित करने की तैयारियां शुरू हो जाती है। इस दौरान तीन बार बप्पा की आरती होती है, जिसके बाद देर रात परिवार के लोग सिर पर गणपति को बिठाकर नाचते-गाते हुए गिरगांव चौपाटी की ओर विसर्जित करने के लिए निकल पड़ते हैं। गिरगांव चौपाटी पर करीब डेढ़ बजे रात में परिवार के लोग गजानन की प्रतिमा को समंदर में प्रवाहित कर सुबह होने से पहले ही घर लौट जाते हैं। यह परंपरा मानकट्टी परिवार पिछले 78 साल से करते आ रहे हैं। इस बार परिवार की चौथी पीढ़ी विघ्नहर्त्ता का पूजन करने वाले हैं। एक ही स्थान पर एक ही दिशा में पूजन मानकट्टी परिवार के सदस्य पुथु लक्ष्मण मानकट्टी ने बताया कि तमाम परेशानियों के बावजूद लंबोदर की पूजा एक ही दिशा में एक ही घर में एक ही स्थान पर करते हैं। हालांकि, 78 सालों में बिल्डरों या रिडिवेलपमेंट की वजह से कई बार स्थान बदलने की बात की गई, पर गणपति का पूजन एक ही जगह पर किया जाता है। इस दौरान मानकुट्टी परिवार के पांच भाईयों के परिवार सहित कम से कम 50 लो पूजा में भाग लने के लिए देश-विदेश से हर साल आते हैं। 

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