Wednesday, March 2, 2011

11 बड़े बंदरगाहों के प्रशासनिक परिवर्तन की तैयारी

केंद्र सरकार के अधीन देश के 11 बड़े बंदरगाहों के प्रशासनिक परिवर्तन की तैयारी चल रही है। इसमें उरण के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का बंदरगाह भी शामिल है। अभी इन 11 बंदरगाहों में देश के मेजर पोर्ट ऐक्ट 1963 के अनुसार ट्रस्ट के तहत कामकाज चलता है। पर अब जल्द ही इस नियम में बदलाव लाने की योजना है। नए नियम के तहत इन बंदरगाहों का प्रशासनिक कामकाज ट्रस्ट के बदले कॉपोर्रेशन के तहत चलाया जाएगा। बंदरगाह के अंदरूनी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कॉर्पोरेशन बन जाने के बाद चेयरमैन का पद व्यवस्थापकीय संचालक में बदल जाएगा। इसी के साथ इस बंदरगाह का नाम भी 'जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट' (जेएनपीटी) से बदल कर 'जवाहरलाल नेहरू कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (जेएनपीसीएल) हो जाएगा। नए नाम और अधिकार मिल जाने के बाद बंदरगाह को आवश्यक निधि इकट्ठा करने का भी अधिकार मिल जाएगा। सूत्रों के अनुसार इसी मार्च में जेएनपीटी की ट्रस्ट प्रशासन के तहत अंतिम बैठक लेने के बाद ट्रस्ट कमेटी को रद्द कर दिया जा सकता है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो अप्रैल से उरण स्थित देश के इस सबसे बड़े बंदरगाह को देश के पहले कॉर्पोरेशन के रूप में बदल दिया जाएगा। हालांकि, केंद सरकार के इस निर्णय का बंदरगाह मजदूरों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। अभी तक ट्रस्ट प्रशासन के तहत अपनी समस्याओं के निबटारे के लिए मजदूरों की तरफ से दो ट्रस्टियों की नियुक्ति की जाती थी जो सभी मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ते थे और ट्रस्ट की नियमित बैठकों में उनका पक्ष रखते थे। पर कॉर्पोरेशन व्यवस्था के तहत मजदूरों को अपनी तरफ से ट्रस्टी नियुक्त करने का अधिकार खत्म हो जाएगा। मजदूरों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान ट्रस्टी भूषन पाटील का कहना है कि पोर्ट ट्रस्ट को कॉर्पोरेशन में बदलने की प्रक्रिया इसके निजीकरण के दिशा का पहला कदम है और सरकार काफी समय से इस प्रयास में लगी हुई है जिसका सभी मजदूरों ने हमेशा से विरोध किया है। उनका कहना है कि बंदरगाह को ट्रस्ट से कॉर्पोरेशन में बदलने से मजदूरों, स्थानीय निवासियों और परियोजनाग्रस्तों के हितों का भारी नुकसान होगा।

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