Thursday, October 21, 2010

कार्रवाई मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों के खिलाफ क्यों नहीं की जाती ?

मुंबई में दादर स्थित शिवाजी पार्क में दशहरा की रैली में शोर-शराबे के कारण पुलिस द्वारा शिव सैनिकों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण के मानदंडों के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किए जाने पर प्रतिक्रिया जताते हुए शिवसेना ने कहा है कि इस तरह की कार्रवाई मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों के खिलाफ क्यों नहीं की जाती ? शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में कहा गया है भिंडी बाजार और बेहरामपदा इलाके में स्थित मस्जिदों के ऊपर लगे लाउडस्पीकरों से निकलने वाली अजान की ध्वनि के कारण बच्चों की पढ़ाई और नींद में खलल पड़ता है। इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने शिवसेना को इस शर्त के साथ शिवाजी पार्क में रैली करने की अनुमति दी थी कि वहां उनकी वजह से आवाज़ की तीव्रता 50 डेसीबल को पार नहीं करने पाये। गौरतलब है कि यह इलाका अब ध्वनि निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। दादर पुलिस ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को मुंबई हाई कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के आरोप में अभियुक्त बनाया है। इस पर सामना के संपादकीय में कहा गया है, 'हम भी कानून को जानते हैं और किसी को भी हमें कानून बताने की जरूरत नहीं है। कानून को हमारी भावना का सम्मान करना चाहिए तभी हम कानून का सम्मान करेंगे।' शिवसेना ने न केवल निर्धारित 50 डेसीबल की सीमा का उल्लंघन किया बल्कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने खुले तौर पर कोर्ट के आदेश की यह कहकर आलोचना की कोई भी शिवसेना की दहाड़ को नहीं रोक सकता।

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