हर साल नाला सफाई के
नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। मुंबई महानगर पालिका ने दो साल के नाला
सफाई पर लगभग 180 करोड़ रुपये
का प्रस्ताव मंजूर किया था। नाला सफाई के लिए रेलवे को करीब 2.15 करोड़ रुपये दिए गए। बीएमसी और रेलवे ने नाला सफाई में कितने तीर मारे,
इसका नजारा रविवार-सोमवार की पहली ही बारिश में ही दिखाई दे गया।
जगह-जगह पानी भरने से वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई, वहीं
लोकल सेवाएं भी बुरी तरह लड़खड़ा गईं। पहली बारिश के बुरे दौर से गुजरने के बाद एक
बार फिर नाला सफाई के काम पर उंगली उठाई जा रही है।
हिंदमाता से भायखला तक पानी भरने के लिए बीएमसी ने ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराया और उस पर कठोर कार्रवाई की। एक तरफ जहां भारी जुर्माना लगाया गया, वहीं दूसरी ओर ठेकेदार पर लापरवाही बरतने के लिए पुलिस स्टेशन में मामला भी दर्ज करने का आदेश दिया गया। इतना ही नहीं, एक डेप्युटी इंजिनियर को भी सस्पेंड किया गया। ऐसे में, सवाल उठता है कि महानगर में अन्य जगहों पर भी तो पानी भरा, उसके लिए किसी को सजा क्यों नही दी गई? इस बाबत कमिश्नर सीताराम कुंटे ने सफाई दी कि समुद्र सतह के निचले क्षेत्रों पानी भरेगा।
हिंदमाता से भायखला तक पानी भरने के लिए बीएमसी ने ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराया और उस पर कठोर कार्रवाई की। एक तरफ जहां भारी जुर्माना लगाया गया, वहीं दूसरी ओर ठेकेदार पर लापरवाही बरतने के लिए पुलिस स्टेशन में मामला भी दर्ज करने का आदेश दिया गया। इतना ही नहीं, एक डेप्युटी इंजिनियर को भी सस्पेंड किया गया। ऐसे में, सवाल उठता है कि महानगर में अन्य जगहों पर भी तो पानी भरा, उसके लिए किसी को सजा क्यों नही दी गई? इस बाबत कमिश्नर सीताराम कुंटे ने सफाई दी कि समुद्र सतह के निचले क्षेत्रों पानी भरेगा।
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