Wednesday, January 16, 2013

ट्रैफिक इंस्पेक्टर सुजाता पाटिल ने एक खास समुदाय को निशाना बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया


 मुंबई पुलिस की पत्रिका 'संवाद' में विवादित कविता लिखने के कारण चर्चित हुईं ट्रैफिक इंस्पेक्टर सुजाता पाटिल ने एक खास समुदाय को निशाना बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इससे आहत हुआ है तो माफी मांगने के लिए तैयार हूं, लेकिन इसे लिखने को लेकर मुझे अफसोस नहीं है।

इस कविता में सुजाता पाटिल ने पिछले साल 10 अगस्त को आजाद मैदान में दंगा करने वाले प्रदर्शनकारियों को 'सांप' और 'गद्दार' करार दिया था और कहा था कि उनके हाथ 'काट' दिए जाने चाहिए। 'संवाद' के नवंबर के अंक में यह कविता छपने के बाद विवाद को देखते हुए सुजाता ने कहा कि वह किसी व्यक्ति या समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं करना चाहती थीं। उनका लिखित माफीनामा 'संवाद' के अगले अंक में छापा जाएगा।

इस मामले को लेकर मुस्लिम-ए-हिन्द नाम के संगठन के संचालक अमीन मुस्तफा इदरिसी और आजाद मैदान हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक नजर मोहम्मद सिद्दीकी ने राज्य के गृह विभाग, मुंबई पुलिस कमिश्नर के ऑफिस और आजाद मैदान पुलिस थाने के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। शिकायतकर्ताओं ने पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह, जॉइंट पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले और सुजाता पाटिल के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की।

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